कोलासुर नामक राक्षस के संहार के कारण पड़ा कोयला भगवती का नाम उनकी गाथा @thesamskara

हिमाचल प्रदेश के इस मंदिर की पहाड़ी से कभी घी टपकता था। इतना घी कि आप नीचे बड़ा बर्तन रख दें और अगले दिन आकर ले जाएं। बर्तन घी से भरा मिलेगा।

लेकिन एक बार एक जूठी रोटी के कारण, साक्षात नजर आनेवाला यह चमत्कार, तुरंत अप्रभावी हो गया। कैसे और क्यों इस पहाड़ी से घी बहना शुरू हुआ था और क्यों यहां से घी बहना बंद हो गया…

बात है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के राजगढ़ गांव में स्थित कोयला भगवती की यह वो भगवती जो दुर्गा माता का अवतार लिए धरती पर विराजमान है आज भी भक्तों द्वारा जो माता से सच्चे मन से मांगा जाए पूरा होता है ।

धार्मिक आस्था के अनुसार, यही वह स्थान है, जहां मां शक्ति ने चमत्कार दिखाया था। यह स्थान मंडी जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है।

माता का यह नाम कोलासुर नामक राक्षस के संहार के कारण पड़ा ।

प्राचीन समय में राजगढ़ की पहाड़ी पर एक चट्टान के रूप में मां का मंदिर विराजमान था। लेकिन इसके बारे में जनमानस को पता न होने के कारण यहां पूजा-पाठ नहीं किया जाता था।

कहते हैं न वक्त से बड़ा बलवान कोई नहीं

वक्त बदला और आस-पास के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन मातम का माहौल रहने लगा। फिर एक समय ऐसा भी आई की यहां स्थित श्मशान दाहुल में हर रोज किसी न किसी का अंतिम संस्कार होना शुरू हो गया क्योंकि हर रोज किसी न किसी की मृत्यु होती गई ।

लोगों के मन में एक धारणा बन गई की अगर किसी दिन यहां शव नहीं जलेगा तो प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ेगा, जिससे बड़ी संख्या में जन हानि हो सकती है। इस भय से लोग उस दिन यहां घास का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करते, जिस दिन किसी की मृत्यु नहीं होती। लेकिन हर दिन अंतिम संस्कार कर- करके लोग परेशान हो चुके थे और इससे मुक्ति पाना चाहते थे।

हर रोज के दुख और दुखदाई संस्कार से बचने के लिए लोगों ने एक साथ मां शक्ति की आराधना शुरू की। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर मां शक्ति ने एक व्यक्ति पर अपना प्रभाव दिखाया और वह व्यक्ति मां शक्ति की वाणी बोलने लगा। इसे आम बोल-चाल और तंत्र की भाषा में ‘खेलना’ कहते हैं। जब वह व्यक्ति खेल गया तो देवी का आदेश बताते हुए उनसे कहा- ‘मैं तुम सबका कल्याण करती हूं। तुम्हें किसी चीज से भयभीत होने की जरूरत नहीं है। तुम यहीं मेरी स्थापना कर मंदिर का निर्माण कर दो।

अब क्या ?

देवी की पूजा में जुटे लोगों को भरोसा तो हो गया था कि यह देवी की ही वाणी है। लेकिन फिर भी वे अपने भरोसे को अधिक पक्का करना चाहते थे।

उन्होंने विनती की और कहा- हे मां!

अपनी उपस्थिति का प्रमाण हम भक्तों के लिए प्रस्तुत कीजिए। हम बहुत अचंभे में हैं। इस पर उस व्यक्ति ने (जिस पर देवी आईं थी) सामने की चट्टान की ओर संकेत कर दिया। जैसे ही भक्तों ने उस चट्टान की तरफ देखा, चट्टान से घी बहता नजर आया। इसके बाद यहां से हमेशा घी बहता रहा और इसका उपयोग लोग मां की जोत जलाने के लिए करने लगे ।

मानो जैसे गांव का माहौल बदल गया और पूरे गांव में एक माता के आने से मेले जैसा वातावरण बन गया ।

परंतु कहते है न समय बहुत बलवान है देव आस्था के साथ जब भी कुछ गलत हुआ उसका परिणाम भुक्तना पड़ा है बस अब क्या एक समय आया और जो घी निकलता था पहाड़ से वो निकलना बंद हो गया और हर बात एक कारण होता है कहते हैं न जो घटता है वो सब तय होता है और इस बात का कारण यह बना :-

एक गद्दी (चरवाहा) इस पहाड़ी के पास से गुजर रहा था। मंदिर देख वह यहीं बैठ गया और रोटी खाने लगा। फिर उसने अपनी रोटी पर घी लगाने के उद्देश्य से अपनी जूठी रोटी चट्टान से रगड़ दी, जहां से घी बह रहा था।

उसकी रोटी पर तो घी लग गया लेकिन जूठा होने के कारण फिर यहां से घी बहना सदा के लिए बंद हो गया।

परंतु माता तो माता है अपने भक्तों को कैसे निराश करेगी माता ने जब अपना प्रमाण दिया है तो उसे कायम भी तो रखेगी क्यूंकि मां ही तो है जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है :-

पहाड़ी से घी तो बहना भले ही बंद हो गया था लेकिन माता ने इस भवन में भक्तों को लगातार कई चमत्कार दिखाए जिस कारण आज भी कोयला माता के प्रति भक्तों की श्रद्धा बहुत ज्यादा है ।

देवी के भक्तों का मानना है कि वे सच्चे मन से जो कुछ भी मां से मांगते हैं, मां उनकी इच्छा अवश्य पूरी करती हैं।

जय माता कोयला भगवती ।