रिवालसर झील की जानकरी तीन संप्रदाय जिनके मिलाप की पहचान दिखाता है रिवालसार …@thesamskara

रिवालसर झील की जानकरी

तीन समप्रदा जिनके मिलाप की पहचान दिखाता है रिवालसार …

समप्रदा इसलिए क्यूंकि धर्म केवल एक सनातन धर्म…

रिवालसर झील मंडी की प्रमुख झील है जिसको त्सो पेमा लोटस झील के नाम से जाना जाता है।

इतिहास कहता है कि मंडी के राजा ने गुरु पद्मसंभव को मारने की कोशिश थी क्योंकि गुरु पद्मसंभव ने उनकी बेटी को शिक्षा दी थी और उन्हें अपने बेटी और गुरु के भाग जाने के इरादों के बारे में पता चल गया था। राजा ने अपनी बेटी और पद्मसंभव को अलग करने के लिए आग में जलाकर मारने की साज़िश की थी लेकिन पद्मसंभव ने अंतिम संस्कार की चिता को तिल के तेल की झील में बदल दिया था जिसे आज हमे रिवालसर झील के नाम से जानते हैं यहाँ पर पद्मसंभव की एक मूर्ति और विशाल कमल का फूल विराजमान है।

इस जगह के बारे में यह भी कहा जाता है कि पद्मसंभव यह जगह छोड़ कर तिब्बत के लिए रवाना हो गए थे। पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि पद्मसंभव ने अपनी तांत्रिक शक्तियों का इस्तेमाल करके रीवालसर से तिब्बत की उड़ान भरी ताकि वो वहां पर बौद्ध धर्म का प्रचार कर सकें।

पद्मसंभव को लोकप्रिय रूप से ‘गुरु रिनपोचे के नाम से जाना जाता है जो तिब्बतियों के गुरु थे। पद्मसंभव के प्रभाव की वजह से ही बौद्ध धर्म तिब्बत में फैला था।

इसके अलावा यह भी एक सत्य कथा है कहा जाता है कि ऋषि लोमस ने रिवालसर झील में भगवान शिव की तपस्या की थी और सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी एक महीने के लिए इस जगह पर निवास किया था। इन ऐतिहासिक संबंधों और कहानियों के कारण रिवालसर झील हिंदू, सिख और बौद्ध संप्रदाय के लोगों के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है।