पहाड़ों की रानी शिमला में प्रभु श्री राम जी के परम भक्त श्री हनुमान जी को समर्पित जाखू मंदिर का इतिहास…
जाखू मंदिर शिमला में ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है। इस जाखू मंदिर के पास पर्यटक एवं श्रद्धालु भारत के अलग-अलग कोनों के अलावा विदेशों से भी आया करते हैं। कहा जाता है यह जाखू मंदिर हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण से भी जुड़ा हुआ है।
इस मंदिर के पास जाने पर राम के परम भक्त हनुमान के पहले के समय में होने की पुख्ता निशानियां देखने को मिलती है, जिससे साबित होता है कि हनुमान जी का इस धरती पर सच में आगमन हुआ था।
यह जाखू मंदिर शिमला के चर्चित स्कैंडल प्वाइंट से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर यह शिमला का प्रमुख मंदिर स्थित है। यह मंदिर शिमला की सबसे ऊंची जाखू पहाड़ी पर स्थित है। यह जाखू मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित एक धार्मिक स्थल है। इस मंदिर के पास हनुमान जी के ऊंची-ऊंची पेड़ों के बीच में एक बहुत ही बड़ी प्रतिमा बनाई गई है, जिसकी ऊंचाई 108 फीट है। इस मंदिर का निर्माण काल के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है, परंतु इस मंदिर का निर्माण का कारण रामायण से भी जुड़ा हुआ बताया जाता है।
जाखू मंदिर से जुड़ी रामायण ग्रंथ के कहानी का जिक्र करते हुए बताया जाता है, कि जब रावण के बेटा मेघनाथ ने राम के छोटे भाई लक्ष्मण को शक्ति बाण मारा था। उसके पश्चात लक्ष्मण जी को बचाने के लिए वैध जी के बताए अनुसार संजीवनी लाने जब हनुमान आकाश मार्ग से जा रहे थे, तभी उन्हें एक पहाड़ी पर एक ऋषि तपस्या करते हुए दिखे। फिर क्या हनुमान जी उस ऋषि के पास पहुंच गए उस ऋषि का नाम याकू था।
उस ऋषि याकू के पास पहुंचने के उपरत हनुमान जी लक्ष्मण पर बीते घटना के बारे में एवं संजीवनी लाने के बारे में पूरा विस्तार से बताया। तभी वह ऋषि हनुमान जी को आगे का मार्गदर्शन किए। समय के आभाव में हनुमान जी वहां से कुछ ही समय बाद संजीवनी लाने के लिए निकल गए और उस ऋषि से बोले कि मैं वापस आते समय आपसे मिलूंगा।
फिर क्या संजीवनी मिलने के उपरांत हनुमान जी के पास लक्ष्मण जी को बचाने के लिए काफी कम समय बचा था, जिसके कारण हनुमान जी सीधे संजीवनी वाला पर्वत लिए लक्ष्मण जी के पास चले गए। हनुमान जी की प्रतीक्षा करते करते जब ऋषि को लगा कि अब हनुमान जी नहीं आएंगे, तब उन्होंने वहां पर एक मंदिर का निर्माण किया। यह मंदिर जहां पर आज स्थित है वहां पर हनुमान जी के पद भी देखने को मिल जाएंगे ।
शिमला के जाखू मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ दशहरे के समय काफी ज्यादा देखने को मिलती है। क्योंकि इस जाखू मंदिर में दशहरे के समय ही एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु अधिक से अधिक संख्या में दूर-दूर से शामिल होने आते हैं। दशहरा का मेला इस मंदिर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
जाखू मंदिर में घूमने जाने का अच्छा समय के बारे में बात करें तो वैसे तो आप यहां पर साल के पूरे महीने में कभी भी जा सकते हैं, लेकिन यहां पर वर्षा ऋतु एवं ठंड के दिनों में जाने से लोग बचते हैं। अगर आप यहां पर जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको बता दें जाखू मंदिर जाने का अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच माना जाता हैं। क्योंकि इसी समय यहां पर श्रद्धालुओं की काफी ज्यादा भीड़ देखी जाती है। अक्टूबर से नवंबर महीने के दौरान ही दशहरा के समय यहां पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग दूर-दूर से शामिल होने के लिए आते हैं।