मां रेणुका जमदग्नि ऋषि की पत्नी…
माता रेणुका के पांच पुत्र थे जिनके नाम क्रमशः 1- रुमण्वान, 2- सुषेण, 3- वसु, 4- विश्वावसु एवं 5- परशुराम । परशुरामजी तो भगवान विष्णुजी के अवतार माने जाते हैं।
रेणुका माता की कथा :- एक बार परशुरामजी ने अपनी ही माता रेणुका की हत्या कर दी थी उनके बारे में एक कथा प्रचलित है। रेणुका माता प्रतिदिन नदी से पानी भरकर लाया करती थी। इसके बाद जमदग्नि ऋषिमुनि स्नान करने के लिए जाते थे। स्नान हो जाने के बाद शिवजी की पूजा अर्चना किया करते थे।
एक दिन माता रेणुका को पानी लाते समय देर हो गई। तभी जमदग्नि ऋषि को यह आभास हुआ कि उनका ब्राह्मणत्व समाप्त हो गया है। आभास होने पर उन्होंने अपने पुत्रों को आदेश दिया कि अपनी माता का सिर तत्काल काट दो। किन्तु उन सभी में से उनके चार पुत्रो ने अपने पिता के इस आदेश का पालन नहीं किया। किन्तु परशुरामजी ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता रेणुका का सिर काट दिया। इस प्रकार पिता की आज्ञा का पालन करने पर उनके पिता उनसे बहुत ही प्रसन्न और संतुष्ट हुए और उन्होंने पुत्र परशुराम को वरदान मांगने को कहा।
परशुरामजी ने मांगे थे ये तीन वरदान
1- माता को पुनर्जीवित कर दो
2- उन्हें अपने मृत होने की स्मृति न रहे
3- सभी भ्राता चेतना-युक्त हो जाए
इन वरदान को देते हुए उनके पिता ने उनसे कहा कि एक वरदान पूरा नहीं हो सकता है। मैं तुम्हारी माता रेणुका को जीवित नहीं कर सकता हूं। यह प्रकृति के नियम के विरुद्ध है। किन्तु 21 दिन के भीतर तुम्हारी माता रेणुका तुमको दर्शन देंगी। माता रेणुका का मंदिर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के समीप छैगांवदेवी में है। मान्यता है की यहां चैत्र मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन माता रेणुका स्वयं प्रकट होती है। इस दिन माता रेणुका की प्रतिमा एक फीट की हो जाती है। इस दिन माता रेणुका के दर्शन करने का बड़ा ही महत्व होता है। इस दिन इस मंदिर में असंख्य भक्तगण अपनी मनोकामना को लेकर रेणुका माता के दरबार आते हैं। कहा जाता है की आज से 500 वर्ष पहले माता रेणुका की प्रतिमा इस मंदिर में स्वयं ही प्रगट हुई थी। इस मंदिर में माता रेणुका के साथ-साथ माता बिजासन, माता हिंगलाज, माता शीतला और माता खांखली इन सब की भी प्रतिमा स्थापित है।
यहां ठीक हो जाते हैं रोगी यहां स्थित बावड़ी के पानी से स्नान करने पर सभी शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि माता रेणुका को जल से स्नान कराने के बाद वह जल किसी भी रोगी को लगाया जाता है तो वह रोगी ठीक हो जाता है। इसी आस्था के चलते यह पर अनेक भक्तगण आते है और अपने रोगों से मुक्ति पाते है। इसलिए यह मंदिर लाखों भक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है।
माता के चमत्कारों को लेकर कई कथाएं प्रचलित स्थानीय लोग बताते हैं एक बार मंदिर में तीन चोर घुसे और कलश चुरा लिया। वे कुछ ही दूर पहुंचे थे कि माता के प्रताप से तीनों पत्थर बन गए। इनमें से एक चोर के सिर पर कलश रखा रह गया।
इस स्थान पर छह देवियां हुईं थी प्रकट :- स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर छह देविया एक साथ प्रकट हुई थी। इसलिए इस गांव का नाम छैगांवदेवी है। अब यहां पर केवल पांच ही देवी की प्रतिमा स्थापित है। माता भवानी यहां से चली गई है। गांव के लोगों का कहना है कि माता ने अभी तक अनके चमत्कार दिखाए है।
यहाँ कभी माता की पिंडी से निकलता है कुमकुम तो कभी बजती हैं घंटिया
यहां के लोगों का कहना है कि माता की पिंडी से कुमकुम निकलता है। या फिर कभी मंदिर की घंटी अपने आप ही बजने लगती है। गांव के लोगों का ऐसा मानना है की यह होना माता का कोई शुभ संकेत होता है।