कांगड़ा जिला में स्थित बैजनाथ मंदिर का इतिहास @thesamskara

बैजनाथ मंदिर बैजनाथ में स्थित नागर शैली में बना हिंदू मंदिर है। इसे 1204 ईस्वी में अहुका और मन्युका नामक दो स्थानीय व्यापारियों ने बनवाया था। यह वैद्यनाथ (चिकित्सकों के प्रभु) के रूप में भगवान शिव को समर्पित है।

शिलालेखों के अनुसार वर्तमान बैजनाथ मंदिर के निर्माण से पूर्व इसी स्थान पर भगवान शिव के पुराने मंदिर का अस्तित्व था। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग है। बाहरी दीवारों पर अनेकों चित्रों की नक्काशी हुई है।

बैजनाथ मंदिर पालमपुर से केवल 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर भगवान शिव की पूजा करके मन को एक अदभुद शांति मिलती है। बता दें कि यह देश के उन कुछ मंदिरों में से एक है जहाँ भगवान शिव और राजा रावण दोनों की पूजा की जाती है ।

बैजनाथ मंदिर की पौराणिक कथा के बारे में बात करें तो दैत्य राजा रावण भगवान शिव का भक्त था। वो हमेशा लंका का राजा बनना चाहता था और इसके लिए उसने भगवान शिव के नाम पर तपस्या करने का फैसला किया। उसने अपने दस सिर काट दिए और उन्हें भगवान शिव को अपनी प्रार्थना के रूप में बलिदान कर दिए। भगवान शिव ने उससे प्रसन्न होकर न केवल उन्हें लंका की भूमि पर शासन करने के लिए अद्वितीय शक्ति दी बल्कि ज्ञान का वरदान दिया और उसके सभी सिरों को भी पहले जैसा कर दिया। इसके बाद रावण ने भगवान शिव से लंका जाने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने खुद को शिवलिंग के रूप में बदलकर कहा कि लंका पहुँचने पर ही इस शिव लिंग को नीचे रखकर स्थापित करना।

भगवान विष्णु और ब्रह्मा इस बात से अत्यंत चिंतित हो गए कि पवित्र शिवलिंग की शक्ति रावण की नई शक्ति और ज्ञान के साथ मिलकर उसे अपराजेय बना सकती है। जब रावण शिव लिंक को लेकर लंका जा रहा था तो तेज हवाएं चलने लगी और असहनीय ठंड ने रावण को परेशान कर दिया, वहीँ रावण ने एक गली के कोने पर एक भिखारी को बैठे देखा और उसने उस भिखारी को शिवलिंग पकड़ने को कहा। वो भिखारी और कोई नहीं बल्कि भगवान विष्णु थे, जिन्होंने भेष बदला था। जैसे ही रावण ने विष्णु को शिवलिंग दी उन्होंने तुरंत उसे नीचे रख दिया और शिवलिंग वहीँ स्थापित और अचल हो गई। जहाँ उस शिवलिंग को रखा गया था आज उसी जगह पर बैजनाथ मंदिर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *