हिमाचल का एक अनोखा मंदिर जहाँ पति-पत्नी एक साथ नहीं कर सकते दर्शन @thesamskara

हिमाचल का एक अनोखा मंदिर जहाँ पति-पत्नी एक साथ नहीं कर सकते दर्शन…

देश-दुनिया में ऐसे विभिन्न धार्मिक स्थल हैं जो अपने इतिहास के साथ साथ कुछ अनोखी परंपराओं की वजह से भी जाने जाते हैं।हिमाचल का  एक ऐसा ही मंदिर जो अपने इतिहास के साथ साथ अपनी अनोखी परम्परा के लिए जाना जाता है | इस मंदिर की अनोखी परम्परा यह है की इस मंदिर में पति-पत्नी एक साथ देवी माँ के दर्शन व् पूजा अर्चना नहीं कर सकते |

वैवाहिक जोड़ा साथ नहीं कर सकता माता के दर्शन

हम बात कर रहे है हिमाचल में एक ऐसे मंदिर की जहाँ विवाहित जोड़े एक साथ पूजा अर्चना नहीं कर सकते | आप यह सुन कर हैरान हो रहे होंगे यकीन मानिये ये सच्च है | हम बात कर रहे है हिमाचल में शिमला जिला के रामपुर में स्तिथ श्री कोटि माता मंदिर जिसे श्राई कोटि माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | मान्यता है की इस मंदिर में पति पत्नी एक साथ पूजा नहीं कर सकते | इस मंदिर में जितने भी वैवाहिक जोड़े दर्शन करने के लिए आते है वो सभी अलग अलग ही देवी माँ के दर्शन व् पूजा अर्चना कर सकते  है | और अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनके वैवाहिक जीवन  बहुत से कष्ट वो परेशानियों से भर जाता है और कभी कभी तो दोनों अलग भी हो जाते है | जबकि अन्य मंदिरों की बात करें तो उन में यह मान्यता होती है कि अगर कोई विवाहित है तो पति पत्नी दोनों साथ में पूजा अर्चन वो दर्शन के लिए जाते है, और ऐसा करने से ही उसे पूर्णत: पूजा मानी जाती है  और पूजा का लाभ भी प्राप्त होता है | लेकिन श्री कोटि माता मंदिर का नियम एकदम अलग है। इस मंदिर में पति पत्नी को एक साथ माता की पूजा अर्चना करने पर पाबंदी लगाई गई है। इस मंदिर में आने वाले पति-पत्नी मंदिर में साथ आ तो सकते है, लेकिन देवी की पूजा और दर्शन के लिए अलग-अलग ही जाना होता है।

आखिर ऐसा क्यों, इसकी क्या वजह है ? 

लोक मान्यताओं और कथाओं के अनुसार इस मंदिर का सम्बन्ध भगवान शिव के परिवार से है | एक बार कार्तिकेय और गणपति जी में इस बात पर लड़ाई हुई कि किसका विवाह पहले होगा। दोनों लड़ते हुए जब भगवान शिव व देवी पार्वती के पास पहुंचे तो भगवान शिव ने कहा कि दोनों में से जो ब्रह्मांड के चक्कर लगा कर सबसे पहले पहुंचेगा, उसका विवाह पहले किया जाएगा। इतना सुनते ही कार्तिकेय अपने तेज वाहन मोर को लेकर ब्रम्हांड का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े |

गणेशजी ने अपने माता-पिता को ही ब्रह्मांड मानकर उनकी परिक्रमा कर ली। कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने में समय लगा। जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगा कर पहुंचे तो देखा कि गणपति जी उनसे पहले वहां मौजूद थे और इतना ही नहीं उनका विवाह भी हो चुका था। यह सब देख कर कार्तिकेय बहुत क्रोधित हुए और कभी विवाह ना करने की प्रतिज्ञा के साथ ही वह रुष्ठ होकर हिमालय के श्री कोटी माता मंदिर के पास आ कर तप करने लगे। अपने पुत्र कार्तिकेय के विवाह ना करने की प्रतिज्ञा को जानकर पार्वती अत्यधिक दुखी हो गईं और दुख और क्रोध में यह श्राप दे दिया कि यहां जो भी जोड़ा साथ में देवी का दर्शन करेगा उसका जोड़ा टूट जाएगा। इसके बाद से इस मंदिर में कभी भी कोई जोड़ा साथ में पूजा नहीं करता। लेकिन जो भी भक्त यहां मंदिर की इस परंपरा का पालन करते हुए दर्शन करता है, वह जोड़ा कभी निराश नहीं होता,  मां भगवती उसकी समस्त मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करती हैं।

Translate »