मंडी में सेन वंश (mandi ke raja) मण्डी रियासत की स्थापना कब और किसने की थी? @the samskara

मंडी में  सेन वंश (mandi ke raja)

1 . मण्डी रियासत की स्थापना – मण्डी रियासत की स्थापना सुकेत रियासत के राजा साहूसेन के छोटे भाई बाहूसेन ने 1000 ई . में की । बाहुसेन और साहूसेन के बीच अच्छे सम्बंध नहीं थे जिस कारण बाहूसेन ने सुकेत रियासत को छोड़कर मंगलोर में मण्डी रियासत की नींव रखी । बाहूसेन ने हाट ( कुल्लू) में राजधानी स्थापित की ।

2 . बाणसेन – बाहूसेन की 11वीं पीढ़ी के राजा करंचन सेन 1278 ई . के आसपास मंगलोर युद्ध में कुल्लू के राजा द्वारा मारे गए । करंचन सेन की गर्भवती पत्नी ने अपने पिता के अधिकार क्षेत्र वाले सिओकोट मण्डी में बान ( ओक ) के वृक्ष के नीचे एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम बाणसेन रखा गया । क्योंकि वह बानवक्ष के नीचे पैदा हआ था । बाणसेन के नाना की कोई संतान – नहीं थी , इसलिए बाणसेन सिओकोट का मुखिया बना । बाणसेन ने 13वीं – 14वीं सदी में मण्डी के भियूली में अपनी राजधानी बनाई । बाणसेन ने पराशर झील के पास पराशर मंदिर का निर्माण करवाया । मण्डी में मण्डी रियासत की स्थापना का श्रेय बाणसेन को जाता है जिसने अपनी राजधानी को मंगलोर से भियूली में स्थानांतरित किया । बाणसेन ने 1278 ई . से 1340 ई . के मध्य शासन किया । बाणसेन के पुत्र कल्याणसेन ने मण्डी शहर के पास बटाहुली में राजधानी को स्थानांतरित किया ।

3 . अजबर सेन – बाहूसेन की 19वीं पीढ़ी के अजबर सेन 1527 ई . में मण्डी के राजा बने । अजबर सेन ने 1527 ई . में मण्डी शहर की स्थापना कर उसे अपनी राजधानी बनाया । अजबर सेन ने मण्डी शहर में भूतनाथ मंदिर का निर्माण करवाया । अजवर सेन की रानी सुलताना देवी ने मण्डी का त्रिलोकीनाथ मंदिर बनवाया । अजबर सेन की 1534 ई . में मृत्यु हो हुए।

4. साहिब सेन ( 1554 – 75 ई . ) – साहिब सेन अकबर का समकालीन मण्डी का राजा था जिसने गुमा ओर न्द्रनग की नमक खानों को अपने नियंत्रण में ले लिया ।

5 . सूरजसेन – सूरजसेन से पूर्व केशवसेन के समय मण्डी मुगलों के नियंत्रण में आ गई थी । सूरजसेन ने 1625 ई . में कमलाहगढ़ किला बनवाया । सूरजसेन ने मण्डी में दमदमा महलका निर्माण करवाया । कुल्लू के राजा मानसिंह ने सुरजसेन को पराजित किया था । सूरजसेन ने 18 पुत्रों की मृत्यु के बाद माधोराय की चांदी की प्रतिमा की 16 मार्च , 1648 ई . में स्थापना करवाई । मण्डी शिवरातरी मेले में रथयात्रा का आरंभ इसी तिथि से माना जाता है क्योंकि इस दिन सर्वप्रथम मण्डी शिवरात्रि में माधोराय के रथ की शोभा यात्रा निकाली गई थी ।

6 . श्याम सेन ( 1658 ई . ) – सूरजसेन के भाई श्याम सेन ने 1658 ई . में मण्डी की गद्दी संभाली । श्यामसेन ने मण्डी में काली मंदिर का निर्माण करवाया ।

7 . सिद्धसेन ( 1678 – 1727 ई . ) – मण्डी के राजाओं में सिद्धसेन एक योग्य एवं कुशल योद्धा माना जाता है । उसने मियां जिप्पु को वजीर नियुक्त किया जो एक कुशल प्रशासक और चतुर राजनीतिज्ञ था । सिद्धसेन के शासनकाल में गुरू गोविंद सिंह मण्डी आए थे । सिद्धसेन ने भंगाल के राजा पृथ्वीपाल की हत्या दमदमा महल के भीतर करवा दी । सिद्धसेन ने 1695 ई . में सरखपुर किला बनवाया था । सिद्धसेन ने सिद्ध गणेश , त्रिलोकनाथ पंचवक्त्र और सिद्ध जालपा मंदिरों का निर्माण करवाया ।

8 . ईश्वरी सेन ( 1779 – 1826 ई . ) – ईश्वरी सेन को संसारचंद ने 12 वर्ष तक नादौन में कैद रखा जिन्हें 1805 ई . में गोरखौं  ने आजाद करवाया । मण्डी रियासत 1809 ई . में सिक्खों के अधीन आ गई । विलियम मूरक्रॉफ्ट ने ईश्वरी सेन के समय 1820 ई . में मण्डी की यात्रा की । ईश्वरी सेन के बाद जालिमसेन 1823 ई . में मण्डी का राजा बना ।

9 . बलवीर सेन ( 1839 ई . ) – बलबीर सेन ( ईश्वरी सेन का पुत्र ) 1839 ई . में मण्डी का राजा बना । महाराजा रणजीत के पोते नौनिहाल सिंह ने 1840 ई . में जनरल वन्चूरा (फ्रांसीसी ) के नेतृत्व में मण्डी रियासत पर आक्रमण कर मण्डी शहर ओर कमलाहगढ़ दुर्ग पर कब्जा कर लिया । 1840 ई . में बलवीर सेन को कैद कर अमृतसर के गोविंदगढ़ किले में रखा गया । मंडी रियासत 9 मार्च , 1846 ई . को ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में आ गई । बलबीर सेन की मृत्यु 1851 ई . में हुई ।

10 . विजे सेन ( 1851 – 1902 ई . ) – वजीर गसौण मियां भाग सिंह के देखरेख में बिजे सेन मण्डी के राजा बने । मि . क्लाक को बिजे सेन की शिक्षा का कार्यभार सौंपा गया । लार्ड मायो 1871 ई . में मण्डी आए । बिजे सेन ने 1872 ई . में पालमपुर दरबार में भाग लिया । सर हेनरी डेविस ने 1874 ई .में मण्डी की यात्रा की । राजा बिजेसेन ने 1877 ई . में दिल्ली दरबार में भाग लिया । और व्यास तट पर विक्टोरिया सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण वानबाया । उहल नदी पर 1881 ई . में सन पुल का निर्माण करवाया । चार्ल्स एचिन्सन ने 1883 ई . में मण्डी की यात्रा की । बिजे सेन के समय मियां उत्तम सिंह वजीर थे । उसके बाद मियां उद्यान सिंह वजीर बने । मण्डी – कुल्लू सड़क का निर्माण 1881 ई . में किया गया । 1901 ई . में पादाजीवानंद को जोधपुर से बुलाकर वजीर नियुक्त किया गया । उन्हें रायबहादुर की उपाधि प्रदान की गई । बिजेसेन की 1902 ई . में मृत्यु हो गई । लार्ड एल्गिन ने 1899 ई . में मण्डीकी यात्रा की । लाला लाजपत राय 1906 ई . में मण्डी आए ।

 11 . भवानी सेन ( 1903 ई . ) – भवानी सेन ने 1906 ई . में दरबार हाल बनवाया । राजा भवानी सेन ने 1911 ई . में दिल्ली दरबार में भाग लिया । मण्डी से पंजाब सरकार का नियंत्रण 1 नवम्बर , 1921 ई . को हटाकर ब्रिटिश – भारत सरकार के अधीन ला दिया गया ।

 12 . जोगेन्द्र सेन ( 1948 ई . ) – जोगेन्द्र सेन ( 1925 – 1948 ई . ) मण्डी रियासत के अंतिम शासक थे ।

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