भस्मासुर से बचने के लिए यहां छिपे थे भोलेनाथ, रो पड़ीं थी मां पार्वती
18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव । श्रीखंड की कहानी बड़ी ही रोचक है तभी तो हर कोई यहां जाना चाहता है। कहते हैं भस्मासुर राक्षस ने यहां तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा। वरदान यह था कि जिसके सिर पर भी वह अपना हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा।
मगर अहंकार में भस्मासुर भगवान शिव के ही पीछे पड़ गया। मजबूरन भोलेनाथ को इन पहाड़ की गुफाओं में छिपना पड़ा। राक्षस के डर से पार्वती यहां रो पड़ीं। कहते हैं कि उनके अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक एक धार यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है। बाद में भस्मासुर का वध किया गया। श्रीखंड यात्रा के दौरान लोग इस सरोवर पर जाना नहीं भूलते।
एक कथा के अनुसार जब पांडवों को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया। इसके साक्ष्य वहां भीम द्वारा बड़े-बड़े पत्थरों का काटकर रखना बताया जाता है। उन्होंने यहां एक राक्षस को मारा था, जो यहां आने वाले भक्तों को मार खाता था।
राक्षस का लाल रक्त जब जमीन पर पड़ा तो उस जगह की जमीन रंग लाल हो गई। यह आज भी वहां लाल रंग में मौजूद है। भीमडवार पहुंचने के बाद रात के समय यहां कई जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। भक्तों का दावा है कि इनमें से कई संजीवनी बूटी भी मौजूद है।
यात्रा के दौरान पार्वती बाग भी रास्ते में पड़ता है। कहते हैं यह बाग मां पार्वती से जुड़ा हुआ है। यहां रंग बिरंगे फूल आज भी खिलते हैं। ये फूल इस स्थान के अलावा और कहीं नहीं मिलते।
करीब 32 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में बर्फीले और जड़ी-बूटियों से लदे पहाड़ आते हैं। सुंदर और मनमोहक शीतलमंद सुगंधित वायु चलती है। शिव आराधना करते भक्त संकरे मार्ग पर आगे बढ़ते जाते हैं।
रामपुर से लगते निरमंड से आगे जाओं नामक स्थान से करीब 32 किमी पैदल यात्रा कर भक्तजन श्रीखंड महादेव पहुंच सकते हैं। जाओं से आगे सिंहगाड, थाचडू, भीमडवारी, नयन सरोवर और पार्वती बाग जैसे कई सुंदर स्थान हैं।